


छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के खिलाफ बड़ी कामयाबी मिली है। राज्य में आज अब तक की सबसे बड़ी संख्या में नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया। ‘पूना मारगेम – पुनर्वास से पुनर्जीवन’ कार्यक्रम के तहत कुल 208 नक्सलियों ने हथियार डाल दिए, जिसमें मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय भी शामिल हुए। उन्होंने इस मौके को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि यह सिर्फ बस्तर के लिए नहीं, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ और देश के लिए महत्वपूर्ण दिन है।सीएम साय ने कहा, जो रास्ता भटक गए थे और समाज से अलग हो गए थे, वे अब सरकार की पुनर्वास नीति में भरोसा जताकर नई जिंदगी की शुरुआत कर रहे हैं।
केंद्र और राज्य सरकार की संयुक्त पहल
मुख्यमंत्री ने बताया कि नक्सलवाद की गंभीरता को देखते हुए केंद्र और राज्य सरकार ने मिलकर इसका स्थायी समाधान निकालने का निर्णय लिया। “सरकार बनने के बाद पता चला कि देश में 77% नक्सलवाद छत्तीसगढ़ में था, और शेष 23% सीमावर्ती राज्यों में फैला था। तब हमने नक्सलवाद को जड़ से खत्म करने का संकल्प लिया
सीएम साय ने कहा कि छत्तीसगढ़ को नक्सलवादमुक्त बनाने की दिशा में गृह मंत्री ने देश के अन्य राज्यों की पुनर्वास नीतियों का अध्ययन किया और उसके आधार पर एक सशक्त पुनर्वास नीति तैयार की गई। “हमने नक्सल संगठनों से आह्वान किया कि वे आत्मसमर्पण कर विकास की मुख्यधारा से जुड़ें। इसका परिणाम है कि आज इतने बड़े पैमाने पर नक्सली समाज की ओर लौट रहे हैं।
उन्होंने बताया कि पुनर्वास योजना के तहत आत्मसमर्पित नक्सलियों को रोजगार, पीएम आवास योजना के तहत घर, खेती के लिए जमीन और अन्य सुविधाएं दी जा रही हैं। साथ ही सरकार की नई उद्योग नीति में भी इन्हें विशेष लाभ दिए जा रहे हैं।
सीएम साय ने कहा कि बस्तर क्षेत्र वर्षों तक नक्सलवाद के कारण विकास से वंचित रहा। लेकिन अब सरकार की योजनाओं की वजह से बस्तर में सड़कें, बिजली और शिक्षा जैसी सुविधाएं पहुंच रही हैं। “बस्तर अब तेजी से विकास की ओर बढ़ रहा है